कुलभूषण व्यास
कुलभूषण
व्यास संयुक्त अरब इमारात में वर्ष २००० में आए
और एक लोकप्रिय रेडियो पर उद्घोषक के रूप में कार्य प्रारंभ
किया।
पिछले तीन वर्षों से वे अपने व्यवसाय में हैं। हिंदी में रुचि
और साहित्यिक रुझान होने के कारण वे अनेक स्थानीय साहित्यिक
संस्थाओं से संबद्ध हैं। | |
दस दोहे
मिले मित्र जो कलयुग में, मन से दीजे मान
जिसने पीड़ा कम करी, उसको अपना जान
नारी जो गुणवान हो, दो घर चमकें खास
नव पीढ़ी हीरे गढ़े, सब सुख करें निवास
जिस घर नर आदर करे, नारी के सब रूप
उस नर ही को जानिये, मानव देव स्वरूप
दो दोहों में कह दिया, मन का सरल विचार
हर घर में जब सुख बसे, सुखी बने संसार
अंटी में जब धन बढे, अकडू भरे उड़ान
तुच्छ तुच्छ सब को कहे, मन में भरे गुमान
अहंकार पल पल बुने, मैं ही मैं का जाल
इसी नशे से बढ़ रहे, जीवन के जंजाल
बूँद बूँद सागर बने, वोट वोट सरकार
सही व्यक्ति जितवाइये,जात पात बेकार
पंख मिले उल्लास के, लक्ष्य बादलों पार
मंज़िल मुझसे कह रही, सपने कर साकार
झूठ कपट को देख कर, कौन करे अब क्षोभ
कलयुग में सर पे चढा, धन पदवी का लोभ
निंदा जब भी कीजिए, इतना रख लें याद
भीतर बैठे पाप को, स्वयं दे रहे खाद
१० फरवरी २०१४
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