शारदा मोंगा
नाम: शारदा मोंगा,
शिक्षा- स्नातकोत्तर: इतिहास-राजस्थान विश्वविद्यालय।
रूचि: भारतीय शास्त्रीय गायन एवं सितार वादन तथा चित्रकला में।
चित्रकला प्रदर्शनियों में चित्रों का प्रदर्शन। कुछ रचनाएँ
वेब पर विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित।
संप्रति आकलैंड, न्यूजीलैंड में निवास
संपर्क-
sharda.monga@gmail.com
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अनुभूति में
शारदा मोंगा की रचनाएँ
१
बिना नागा दारू पिया,
घर खर्चे का क्या होगा?
बच्चों को नहीं दूध दही,
उनके स्वास्थ्य का क्या होगा?
बताओ तो, स्कूल की फीस?
उनकी किताब का क्या होगा?
तू पी पी के मस्त रहा,
उत्तरदायित्व का क्या होगा?
तूने तो दारू पिया,
दारू ने तुझे ही पी लिया.
मस्त होने को पिया,
जिगर में हो गया पीलिया.!
२
घर की चारदिवारी,
बोतल में बंद- घुटती नारी,
परम्परा से जकड़ी
आँखों में पीड़ा,
पुरानी कहानी
समस्या भारी...घुटती नारी,
पुस्तक पोथी, ने समझाया,
कारण है- अज्ञान का साया,
पढ़ डालीं पुस्तकें सारी,
तोड़ी बोतल-चारदीवारी...
श्वास लिए निकली नारी
हुआ ज्ञान,
आलोक, पुंज प्रकाश,
खुला असीमित आकाश,
स्वाधीनता का श्वास,
ज्ञान के पंख फैलाये
दिश दिशा को उड़ चली नारी.
९ जनवरी २०१२
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