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हाथों में फूल लिये
 
 
हाथों में फूल लिए खिलता यौवन
गंधों से महक रहा घर का आँगन

चुपके से मौसम ने बदले मिजाज
अधरों पर ठहरें हैं भीगे लिहाज
नैनों में प्रीत भरी मन का दरपन
गंधों से महक रहा
घर का आँगन

ठुमक ठुमक इठलाती आई बहार
आँचल में टाँके हैं बूटे हजार
साँसें भी गमक रही  फूलों सा तन
गंधों से महक रहा
घर का आँगन

पिघल रही यादों का बर्फीला कल
अनबोली खुशियों का बरसा बादल
सोने सा दिन पाहुन चाँदी सा मन
गंधों से महक रहा
घर का आँगन

- शशि पुरवार
१ जून २०१८

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