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हँस दिये फूल
 
 
मन से हटाई चिंता की धूल
हँस दिए फूल

इंद्र धनुष से बिखराए रंग
बादल की ढपली थापें मृदंग
बीजी जो प्रीति
खिल गए फूल

अपना बनाया जिससे भी बाँटे
मुस्काई पाँखें बीने जो काँटे
ह्रदय पटल पर
सिल गए फूल

भोला सा बचपन पत्ती सहेली
डाली पे झूले धूप छाँव झेली
माली ने तोड़ा
सिहराए फूल

- शशि पाधा
१ जून २०१८

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