मत चूम मुझे नादान भँवर
चढ़ना है देवों के सर या
वेणी में किसी नवेली की
बस दो पल की इन साँसों का
मुझको भी है संज्ञान भँवर
जीवन का होगा अंत मेरे
जाने किन निर्मम हाथों से
इन पंखुड़ियों को मत छूना
दुख ही इनका संधान भँवर
इतना ही है जीवन मेरा
इतनी सी करुणा बाक़ी है
सिसकी में ही सुख का सपना
पीड़ा अपनी मुस्कान भँवर
क्यों इंद्रजाल में कुसुमों के
यह जीवन व्यर्थ गँवाता है
जग से तुझको भी जाना है
मत कर इतना अभिमान भँवर
- रंजना गुप्ता
१ जून २०१८ |