अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

पूरी एक दुकान
 
 
१-
फूलों को केवल मिला, छोटा सा गुलदान
पर खुशबू ने घेर ली, पूरी एक दुकान

२-
फूलों के संग बैठ कर, खिली मधुर मुस्कान
प्रेम गन्ध तन से बही, संगत है वरदान

३-
पत्थर के संसार मे, फूलों का व्यापार 
खुशबू ले चलते बने, मिला नहि खरीदार

४-
फूलों को उँगली छुए, ले कर एक सुवास
अंग अंग में हो रहा, कोमल सा एहसास

५-
सब के सब बेरंग है, मिट्टी, नीर, समीर
पर इनके भीतर छुपी, रंगों की जागीर

- संध्या सिंह
१ जून २०१८

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter