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ओंठों पर मुस्कान
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कितनी मोहक लग रही रंगों सजी
दूकान।
कर में कोमल पुष्प हैं, अधरों पर मुस्कान।
देखो इनके हाँथ में, तरह तरह के फूल।
तुम भी अब हँस दो ज़रा, सारे गम को भूल।।
शायद कुछ तो कह रहे, तनिक इसे भी जान।
पढ़ पढ़कर बतला मुझे, नयनों का विज्ञान।।
इनसे भी कुछ सीख लो, हरदम हँसते फूल।
अगल बगल रहते सदा, जबकि केवल शूल।।
भाँति भाँति के पुष्प हैं, कितना मोहक चित्र।
अब विलंब क्यों कर रहे, फ़ोटो खींचो मित्र।।
उसे देख बढ़ने लगा, मेरे उर का शोर।
रोके से रुकता नहीं, नाचा मन का मोर।।
- राम शिरोमणि पाठक
१ जून २०१८ |
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