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मुक पर मृदु मुस्कान
 
 


मुख पर मृदु मुस्कान है, मन में मीठी याद।
रंग-बिरंगे पुष्प ज्यों, नैनों के संवाद।।


रंगबिरंगे पुष्प से, बना गुच्छ, गलहार।
अभ्यागत स्वागत सजग, ताके ड्योढ़ी द्वार।।


भूली लाज-समाज सब, भूली मान-गुमान।
फूलमती पुलकित खड़ी, धरे देहरी कान।।


भौहें कसी कमान सी, गुमसुम गुमसुम नैन।
पुष्पगुच्छ दे ले गयी, अहोरात्रि का चैन।।


पुष्पगुच्छ सी फुलझड़ी, अजब मौन संवाद।
भूले भूले फिर रहे, कहाँ करें परिवाद।।

- अनिल कुमार वर्मा
१ जून २०१८

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