|
मुक पर मृदु मुस्कान
|
|
१
मुख पर मृदु मुस्कान है, मन में मीठी याद।
रंग-बिरंगे पुष्प ज्यों, नैनों के संवाद।।
२
रंगबिरंगे पुष्प से, बना गुच्छ, गलहार।
अभ्यागत स्वागत सजग, ताके ड्योढ़ी द्वार।।
३
भूली लाज-समाज सब, भूली मान-गुमान।
फूलमती पुलकित खड़ी, धरे देहरी कान।।
४
भौहें कसी कमान सी, गुमसुम गुमसुम नैन।
पुष्पगुच्छ दे ले गयी, अहोरात्रि का चैन।।
५
पुष्पगुच्छ सी फुलझड़ी, अजब मौन संवाद।
भूले भूले फिर रहे, कहाँ करें परिवाद।।
- अनिल कुमार वर्मा
१ जून २०१८ |
|
|
|
|
|