मंजुल भटनागर के
हाइकु
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१
सूरज उगा
भोर ने बुहार दी
स्वप्निल रात
२.
शाम की थाली
सौगातों से भरती
निशा उतरी
३.
बिरह जगे
मेघा बरसे आँसू
प्रीत क्यों जले
४.
होती बारिश
भीगते अहसास
परदेश में
५.
यारा बेरुखी से
बनती नहीं बात
आ बैठें साथ
६.
मौन प्रणय
पारस बन जाता
दिव्यता पाता
७.
बादल छौने
सावन देख उड़े
धरा बिछौने
९ फरवरी २०१५ |