डॉ. जगदीश व्योम
जन्म :
1 मई 1960, शंभूनगला, फर्रुखाबाद, उ. प्र. (भारत)
शिक्षा :
एम. ए. ह़िंदी साहित्य में, एम. एड., पीएच. डी.
शोध कार्य :
लखनऊ विश्वविद्यालय से 'कनउजी लोकगाथाओं का सर्वेक्षण और
विश्लेषण' पर।
कार्यक्षेत्र:
अध्यापक, लेखक, कवि और संपादक डॉ. जगदीश व्योम हिंदी हाइकु
के क्षेत्र में अपने विशेष योगदान के लिए जाने जाते हैं। वे
हिंदी हाइकु की विशेष पत्रिका हाइकु दर्पण के संपादक हैं। इसके
अतिरिक्त भारत की लगभग सभी पत्र पत्रिकाओं में आपके शोध लेख,
कहानी, बालकहानी, हाइकु, नवगीत आदि का प्रकाशन हो चुका है।
आकाशवाणी दिल्ली, मथुरा, सूरतगढ़, ग्वालियर, लखनऊ, भोपाल आदि
केंद्रों से कविता, कहानी तथा वार्ताओं का प्रसारण भी वे कर चुके
हैं।
प्रकाशित कृतियाँ :
काव्य संग्रह:-
इंद्रधनुष, भोर के स्वर।
शोध ग्रंथ:-
कन्नौजी लोकगाथाओं का सर्वेक्षण और विश्लेषण, कन्नौजी लाकोक्ति
और मुहावरा कोश।
बाल उपन्यास:-
नन्हा बलिदानी, डब्बू की डिबिया
बाल कहानी संग्रह:-
सगुनी का सपना
संपादित कहानी संग्रह:-
आज़ादी के आस-पास, कहानियों का कुनबा
संपादन-
हाइकु दर्पण, बाल प्रतिबिंब
सम्मान:
शोधग्रंथ 'कनउजी लोकगाथाओं का सर्वेक्षण और विश्लेषण' के लिए 'प्रकाशिनी
हिंदी निधि कन्नौज द्वारा सम्मानित। 'नन्हा बलिदानी' बाल उपन्यास
के लिए पाँच पुरस्कार।
जालघर : हिंदी साहित्य
संप्रति : दिल्ली प्रशासन के अन्तर्गत शिक्षा विभाग में अधिकारी
संपर्क-
dr_vyom@yahoo.com
dr_vyom@yahoo.com
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अनुभूति में
डॉ. जगदीश व्योम की रचनाएँ—
ताँका में-
माँ (ताँका में)
कविताओं में—
अक्षर
छंद
रात की मुट्ठी
सो गई है मनुजता की संवेदना
हे चिर अव्यय हे चिर नूतन
गीतों में—
आहत युगबोध के
इतने आरोप न थोपो
न जाने क्या होगा
पीपल की छाँव
बाज़ीगर बन गई व्यवस्था
हाइकु नवगीत
दोहों में—
ग्यारह दोहे
हाइकु में-
सात हाइकु
संकलन में—
तुम्हें नमन- किसकी है तस्वीर
नव वर्ष अभिनंदन-– दादी कहती हैं
हिंदी के 100 सर्वश्रेष्ठ प्रेमगीत- पिउ
पिउ न पपिहरा बोल
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