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राकेश शर्मा की गज़ल


  अल्फाज़ के मानी खो बैठे

अल्फाज़ के मानी खो बैठे
आवाज़ रूहानी खो बैठे

चेहरे पर आब की चाहत में
हम आंख का पानी खो बैठे

जीने के नये ढब सीख लिये
हर सीख पुरानी खो बैठे

किस्से में यूं औरों के उलझे
हम अपनी कहानी खो बैठे

शहर आ के कमाया नाम मगर
पुरखों की निशानी खो बैठे

रखते तो हैं हम भी शौके–सुखन
अन्दाज़–ए–बयानी खो बैठे
 

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