बशीर बद्र
बशीर बद्र की रचनाओं पर एक विस्तृत निबंध पढें 'साहित्यिक निबंध'
के अंतर्गत-
" उजाले अपनी यादों के"
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कोई चिराग नहीं है
कोई चिराग नहीं है मगर उजाला है,
ग़़जल की शाख पे इक फूल खिलने वाला है।
ग़़जब की धूप है एक बेलिवास पत्थर पर,
पहाड़ पर तेरी बरसात का दुशाला है।
अजीब लहज़ा है दुश्मन की मुस्कुराहट का
कभी गिराया है मुझको कभी संभाला है।
निकल के पास की मास्जिद से एक बच्चे ने,
फ़साद में जली मूरत पे हार डाला है।
तमाम वादियों में सहरा में आग रौशन है
मुझे खिज़ां के इन्हीं मौसमों ने पाला है।
१५ अक्तूबर २००० |