पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१. ४. २०१७

अंजुमन उपहार काव्य संगम गीत गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति
कुण्डलिया हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला रचनाकारों से

वेदना

 

 

वेदना रह-रह कसक जाती हृदय में
रंग के उत्सव कहो कैसे मनाएँ

मणि अभावों की
रही माथे जड़ी है।
सुने क्रन्दन कौन
क्या किसको पड़ी है?
बधिर, नयन विहीन पहरेदार सोया
क्या कहें? अब - आईना कैसे दिखाएँ

कण्ठ सूखे हैं
नदी के कूल बैठे।
देख गँदलापन
तृषा भी भूल बैठे।
पालथी मारे निशा बैठी हठी सी
इस तिमिर में भैरवी कैसे सुनाएँ

बूँद बारिश की
नहीं धरती पे आती।
दीप ताके तेल को
ले शुष्क बाती।
जब यहाँ, किल्लत-कफ़न की हो शवों को
जन्मदिन का जश्न फिर कैसे मनाएँ

- राम गरीब विकल

इस माह

गीतों में-

bullet

रामगरीब विकल

अंजुमन में-

bullet

विवेक चौहान

छंदमुक्त में-

bullet

कमलेश यादव

अनुभूति की कार्यशाला से-

bullet

छोटी छंदमुक्त रचनाएँ

पुनर्पाठ में-

bullet

अश्वघोष

 

पिछले पखवारे
१५ मार्च २०१७ को प्रकाशित
अंक में

गीतों में-
गिरिमोहन गुरु

अंजुमन में-
सुरेश कुमार उत्साही

दिशांतर में यू.एस.ए. से-
सुदर्शन प्रियदर्शिनी

दोहों में-
सुशील शर्मा

पुनर्पाठ में-
आशाराम त्रिपाठी

अंजुमनउपहार काव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंकसंकलनहाइकु
अभिव्यक्तिहास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतरनवगीत की पाठशाला

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है।

Google
Loading
प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
कल्पना रामानी