पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१५. ४. २०१६

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कुण्डलिया हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला रचनाकारों से

मन तुम काजी हो या मुल्ला

 

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मन तुम काजी हो या मुल्ला
ठूँसो थूथन वहीं, जहाँ पर
मचता हल्ला-गुल्ला

अपना काम नहीं करते हो
अपना दीन न साधो
राजनीति में पिले पड़े हो
सत्ता पथ के माधो
खोज रहे हों जहाँ समर्थन
वे ही देंगे ठोकर
सोचो भला फसल क्या मिलना
अहंकार को बोकर

पर दुख कातर बने खोजते
पद वाला रसगुल्ला

या फिर प्रगतिशील कहलाकर
पुरस्कार की आशा
गूँथ रहे शब्दों की माला
ज्यों कविता की भाषा
अथवा नेता या अभिनेता
बनकर पुजना चाहो
कुछ भी हो पहले सच की
अपनी गहराई थाहो

पानी पी संतोष करो
मत करो दूध का कुल्ला

- कृष्ण मुरारी पहारिया

इस पखवारे

गीतों में-

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कृष्ण मुरारी पहारिया

अंजुमन में-

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शंभुनाथ तिवारी

छंदमुक्त में-

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असीमा भट्ट

हँसिकाओं में-

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सरोजिनी प्रीतम

पुनर्पाठ में-

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सावित्री शर्मा

पिछले पखवारे
१ अप्रैल २०१६ को प्रकाशित

गीतों में-
कन्हैयालाल बाजपेयी

अंजुमन में-
ठाकुरदास सिद्ध

छंदमुक्त में-
परमेश्वर फुँकवाल

हाइकु में-
डॉ. हरदीप कौर संधु

पुनर्पाठ में-
राम मनोहर त्रिपाठी

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संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
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