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२९. ४. २०१३

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रहे सफर में

 

 

 

 

 

 

 

 

 

मनचाहे ठहराव के लिये
हम जीवन भर रहे
सफ़र में

ऐसे मीठे बोल
कि जिनमें घुल जाये मन का तीतापन
ममता की वह थाप कि जिससे सो जाये
किरचा–किरचा तन
नेह–भरी इक छाँव के लिये
हम जीवन भर तपे
डगर में

बीत गये दिन
लेने देने पाने खोने के हिसाब में
देखा तो हर पन्ने पर ही घाटा निकला
गुणा–भाग में
बहुत बड़े जुड़ाव के लिये
हम जीवन भर रहे
सिफ़र में

पूरे होते हैं जो
सपने, मिले हाशिये पर ही अक्सर
गान भरा करते हैं जीवन में केवल
संघर्षों के स्वर
कुछ मणियों की चाह के लिये
हम जीवन भर रहे
लहर में

-- कृष्णनंदन मौर्य

इस सप्ताह

गीतों में-

अंजुमन में-

छंदमुक्त में-

छंद में-

पुनर्पाठ में-

पिछले सप्ताह
२२-अप्रैल-२०१३-के-राम-नवमी-विशेषांक-में

गीतों में- अश्विनी कुमार विष्णु, आशीष तिवारी, ओम प्रकाश तिवारी, उमेश मौर्य, कुमार रवीन्द्र, नितिन जैन, रविशंकर रवि, रोहित रुसिया, सुवर्णा दीक्षित। छंदमुक्त में- उर्मिला शुक्ल, संध्या सिंह, परमेश्वर फुँकवाल, मंजुल भटनागर, सरस्वती माथुर, सरस दरबारी, संदीप रावत, स्वाती भालोटिया। दोहों में- ऋता शेखर मधु, रघुविन्द्र यादव, रमेश शर्मा, सुबोध श्रीवास्तव। कुंडलिया में- ज्योतिर्मयी पंत, रामशंकर वर्मा, शशि पुरवार, त्रिलोक सिंह ठकुरेला। अंजुमन में- ओम नीरव, कल्पना रामानी, सुरेन्द्र पाल वैद्य। छंद में- प्रो. विश्वंभर शुक्ल

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
कल्पना रामानी
 
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